तुझे पिता कहुं या माता,
तुझे मित्र कहुं या भ्राता,
सौ-2 बार नमन करता हूं
चरणों में झुका के माथा… तुझे पिता कहुं…
हे परमेश्वर तेरी जग में,
है महिमा बहुत निराली,
तु चाहे तो बज जाये,
हर एक हाथ से ताली
हे प्रभु तेरी कुदरत का,
ये खेल समझ नही आता… तुझे पिता कहुं…
सती मैना ने तुझे पुकारा,
तुने पति का कोढ़ मिटाया,
मुनि मांनतुंग ने ध्याया,
सौ तालों को तोड़ गिराया,
कण-2 में तु बसा है,
पर कही नज़र नही आता… तुझे पिता कहुं…
है धरा पाप से बोझल,
तब हमने तुझे पुकारा,
अब धीरज ड़ोल रहा है,
तु दे दे हमे सहारा,
बिन तेरे इस दुनिया में,
हमे कोर्इ नज़र नही आता… तुझे पिता कहुं…